एक फूल रचता है एक फूल रचता है
तब मैंने भी प्रति उत्तर में , इस जग को विष खरल दिया था, तब मैंने भी प्रति उत्तर में , इस जग को विष खरल दिया था,
खुद को भुला के चाहूँ जो जीना किसी के लिए, मेरी ज़िंदगी पे उठे क्यों सवाल इतने? छोड़ क खुद को भुला के चाहूँ जो जीना किसी के लिए, मेरी ज़िंदगी पे उठे क्यों सवाल इतने...
किसी वीरान मरुस्थल में जैसे एक अधीर वृद्ध, किसी वीरान मरुस्थल में जैसे एक अधीर वृद्ध,
हिलाने से रोटी तो मिल जाती है । हिलाने से रोटी तो मिल जाती है ।। हिलाने से रोटी तो मिल जाती है । हिलाने से रोटी तो मिल जाती है ।।
अपने दिल के जज़्बात किस को सुनाऊंँ बेमानी इस दुनियांँ में किस को आवाज़ लगाऊँ। अपने दिल के जज़्बात किस को सुनाऊंँ बेमानी इस दुनियांँ में किस को आवाज़ लगाऊँ।